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नीड़ का निर्माण फिर-फिर हरिवंश राय बच्चन | need ka nirman fir fir poem meaning


नीड़ का निर्माण फिर फिर :-हरिवंश राय बच्चन


नीड़ का निर्माण फिर-फिर  हरिवंश राय बच्चन  जी द्वारा लिखी गई इस कविता के अर्थ या नीड का निर्माण फिर फिर पोएम मीनिंग के बारे में आज हम बात करने वाले है उससे पहले हम आपको बता दे 


need ka nirman fir fir poem meaning


  ये उनकी एक एक प्रसिद्ध कृति है।ये पद्यखंड श्री हरिवंशराय 'बच्चन'  जी के सतरंगिनी नामक काव्य से लिया गया है  | जो की  उनकी आत्मकथा का दूसरा भाग है, इसका  प्रकाशन 1970 में हुवा था 




नीड का निर्माण फिर फिर पोएम मीनिंग


need ka nirman fir fir poem meaning Harivanshrai Bachchan 


कवि कुमार विश्वास जी के अनुसार ये  कविता अंधकार से प्रकाश की और ले जाती है उनके अनुसार  ये  ध्वंस से पुनर्निर्माण की यात्रा ही मनुष्य को 'अहम् ब्रह्मास्मि' बनाती है, 'अशरफ़-उल-मख़लूक़ात' बनाती है, 'आई एम द डिवाइन फ्लेम' बनाती है। आशा-दृष्टि के महाकवि हरिवंश राय बच्चन बताते हैं इसी यात्रा का महामन्त्र। इस नीड का निर्माण फिर फिर में बताते है 

यहाँ देखे वीडियो



नीड़ का निर्माण फिर-फिर  हरिवंश राय बच्चन


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