हिंदी हमारे देश की ना
केवल मातृभाषा है बल्कि ये भारत की जुबा
से होती हुयी दिल तक जाने वाली आत्म भाषा भी है वैसे तो कोई भी भाषा अपने मन के विचारो को एक
दुसरे से साँझा करने की जरुवत को ही पूरा
करती है पर
भारत में भाषाये हमारी तहजीब को बरक़रार रखने में भी उतनी ही अहम् है
हिंदी के विषय में एक
समय गाँधी जी ने कहा था “उन्हें सबसे ज्यादा दुःख इस
बात का होता है जब मेरे देश का एक भारतीय दुसरे भारतीय से अंग्रेजी में बात करता है “
भाषा के जानकार बुद्दी जीवी
हमेशा से कहते आये है अगर हमे किसी
भाषा को सहेज के रखना है तो हमे सदेव इसमें दुसरी बोली और भाषा को अपनाते हुए चलना
होगा भषाविदो का कहना है जब कभी भी किसी
भाषा ने किसी अन्य भाषा से शब्द लेना बंद कर दिए तब तब
उस भाषा की स्थिति तालाब के रुके हुए पानी की तरह की हो जाती है जिसका विकास ना होकर उसमे सड़ाध पैदा
हो जाती है
“भाषाए जब जब भी अडी है वो
तब तब सडी है”
शायद यही हिंदी की विन्रमता रही जो इसमें अग्रेजी जैसी भाषा को अपनाते हुए
पुरे विश्व को एक गलोबल गाव में तब्दील कर दिया जिसके पीछे सबसे बड़े युवा देश के
युवाओं के हिंदी में अपने विचारो को इन्टरनेट पर साँझा
करने ज्ञान बटोरने में उपयोग करना हिंदी
को मजबूत बना रहा है
किसी भी भाषा को सहेजने
के लिए हमे इनकी लिपियों को भी अपने आप से जोड़े रखना उतना ही जरुरी है जितना की
हमे अपनी हिंदी भाषा को अपने व्यवहार में लाना
hindi diwas in hindi language | हिंदी दिवस
14 सितम्बर १९४९ को
सविधान सभा ने एक मत होते हुए ये तय किया
की ‘हिंदी’ ही भारत की राजभाषा होगीं जिसे की बाद में रास्त भाषा परचार समिति ,वर्धा के अनुरोध पर १९५३ से भारत में हर
वर्ष 14 सितम्बर को “हिंदी दिवस” मनाया
जाता है
हिंदी को 1950 में रस्त्भाषा का दर्जा दिया गया है
हिंदी मूलत: फारसी भाषा
का एक शब्द है जिस तरह अग्रेजी के 26 वर्ण है वैसे ही हिंदी में इससे दुगने 52 वर्ण है
हिंदी में अधिकतर शब्द
संस्कर्त , फारसी और अरबी से लिए गए है
अपने ही देश में अपनी
भाषा को बोलने में जो शर्म आती है शायदये हालात दुनिया के किसी और देश में होंगे
ये हमारी सबसे बड़ी विडम्बना है
इसके बाद भी करीब 50
फीसदी से ज्यादा लोग आज भी हिंदी बोलते
है
और करीब 85 फीसदी से
ज्यादा लोग भले ही ना हिंदी बोल पाते हो फिर भी ये लोग हिंदी समज जाते है जिसका ही परिणाम हमारी सिनेमा की लोक्पिर्यता है
हिंदी को बढ़ाने के लिए
हमे इसे महज एक भाषा ना मानते हुए कला
संगीत और ज्ञान के रूप में मूर्तिमान करना होगा तभी आमिर खुसरो की मुकरिया ,रसखान
के दोहे ,सुर,तुलसी , कबीर.मीरा के पद,हमारी धरोहरों के रूप में बच पायेगा
हिंदी दिवस को हम एक थकाने
वाली कवायद ना मानते हुए इसके सच्चे हितेषी बने और झूटी रस्म अदायगी ना करते हुए
इसे रास्त भाषा बनाने की और आगे बढ़ाये
इसी कड़ी की शुरुवात करते
हुए ये हिंदी ब्लॉग “ in Hindi Language “
आपके सामने है जो नित नए हिंदी ज्ञानवर्धक लेखो से आपको और उन सभी 21 फीसदी से ज्यादा भारतीयों के लिए बनाया गया है जो केवल हिंदी
में इन्टनेट का उपयोग करते है
आप अपने सुझाव और कोई
सवाल हो तो जरुर कमेंट करे और शेयर कर धन्यवाद मित्रो
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